क़यामत कब आएगी और किस तरह आएगी।

मेरे प्यारे इस्लामी भाइयों ! दुनियां के पूरे इंसानों को इस बात पर यक़ीन है कि एक ना एक दिन यह दुनियां ख़त्म हो जाएगी इसके अंदर जितनी भी चीज़े हैं सब फ़ना हो जाएगी। जिसको हर मज़हब के इंसान क़यामत के नाम से जानते हैं। प्यारे दोस्तों नीचे पढ़ने वाले हैं क़यामत कब आएगी और किस तरह आएगी उसका ज़िक्र किया गया है।





☑  आइए एक बार नबी सल्लल्लाहु  अलैहि वसल्लम की बारगाह में दरूद शरीफ पढ़लें..!

।।अल्लाहुम्मा रब्बू मोहम्मदिन सल्ला अलैही वसल्लम, नह्नू इ़बादु मोह़म्मदीन सल्ला अलैही वसल्लम, सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम।।


जब क़यामत की तमाम निशानियां पूरी हो जाएंगी और मुसलमानों की बग़लों से वह खुशबूदार हवा गुज़रेगी जिससे तमाम मुसलमान इमान वालों की वफात "मौत" हो जाएगी तो उसके बाद फिर 40 वर्ष का ज़माना ऐसा गुज़रेगा जिसमें किसी की औलाद ना होगी यानी 40 वर्ष से कम उम्र का कोई ना रहेगा और दुनियां में सिर्फ काफ़िर ही काफ़िर होंगे। अल्लाह तआला का नाम लेने वाला कोई ना होगा सब अपने अपने कामों में लगा होगा कोई घर बिल्डिंग की सजावट करने में होगा, कोई खाने-पीने पैसे ख़ज़ाना जमा करने में होगा। अलग़र्ज़ सब अपने-अपने काम में लगे होंगे।

अल्लाह रब्बुल इज्ज़त अचानक हज़रते इस्राफ़ील अलैहिस्सलाम को सूर फ़ूकने का हुक्म फ़रमाएगा। हज़रते इस्राफ़ील अलैहिस्सलाम अल्लाह के हुक्म से सूर फ़ूकेंगे, पहले उसकी आवाज़ हल्की होगी और बाद में धीरे-धीरे बहुत कड़ी हो जाएगी। सब लोग कान लगाकर उसकी आवाज़ सुनेंगे और बेहोश होकर गिर पड़ेंगे यहाँ तक कि सब मर जाएंगे। फिर आसमान, ज़मीन, दरिया, पहाड़ यहाँ तक कि ख़ुद सूर फूंकने वाला हज़रते इस्राफ़ील अलैहिस्सलाम और तमाम फ़रिश्ते फ़ना हो जाएंगे। उस वक़्त अल्लाह तआला के सिवा कोई ना होगा फिर जब अल्लाह चाहेगा इस्राफ़ील अलैहिस्सलाम को ज़िंदा करेगा और सूर को पैदा करके दोबारा फूंकने का हुक्म देगा। 


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हज़रते इस्राफ़ील अलैहिस्सलाम के दोबारा सूर फ़ूकते ही तमाम अगले पिछले ( यानी जब से दुनियां बनी क़यामत तक जितने लोग अपनी क़ब्रों में हैं तमाम मुर्दे, फरिश्ते इंसान जिन हैवानात सब मौजूद हो जाएंगे उस वक्त लोग कब्रों से निकल पड़ेंगे। हर एक हाथ में उनका आमाल नामा "दुनिया में जो कुछ भी किया है उसकी रिजल्ट"दिया जाएगा।


मैदाने महशर कैसा होगा..?

 हर एक शख़्स को उनके नाम ए आमाल देने के बाद हश्र के मैदान में लाया जाएगा। यहाँ पर हर कोई हिसाब और बदला के इंतिज़ार में खड़े होंगे। हश्र का मैदान ऐसा होगा कि वहाँ की ज़मीन तांबे की होगी। सूरज निहायत तेज़ी से सर के बहुत करीब होगा। गर्मी की सख़्ती से इंसान के भेजे खोलते होंगे। इस जबान सूख कर कांटा हो जाएंगी। और कुछ लोगों के मुंह से उनकी ज़ुबान बाहर निकल आएंगी। पसीना इस क़दर आएगा कि किसी के टूखने तक, किसी के घुटने तक, किसी के गले तक, यहाँ तक कि किसी के मुंह तक पसीना में डूबा होगा। जो जैसा दुनियां में अमल किया होगा  वैसी ही तकलीफ़ होगी।


मैदाने महेश्वर में 1 दिन 50,000 वर्ष का होगा।  तमाम लोग परेशान हाल होंगे, वहां पर कोई किसी का ना होगा, ना बाप बेटे का, ना बेटा बाप का, ना मां बेटे की, और ना ही बेटी मां की यानी कोई किसी का ना होगा। उस वक्त तमाम लोग एक दूसरे से मशवरा करेंगे और सिफारिशी की तलाश करेंगे जो उस मुसीबत से छुटकारा दिला दें और जल्द फैसला कर सकें। 

 सिफारिश केलिए कहाँ जाएंगे..।

सब लोग मशवरा करके सबसे पहले हज़रते आदम अलैहिस सलाम के पास जाएंगे। हज़रते आदम फरमाएंगे हज़रते नूह अलैहिस्सलाम के पास जाओ। हज़रते नूह फरमाएंगे हज़रते इब्राहिम अलैहिस्सलाम के पास जाओ। हज़रते इब्राहिम भेजेंगे हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम के पास जाओ। लोग गिरते पड़ते हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम के पास जाएंगे और आख़र में हज़रते ईसा आख़िर में फरमाएंगे कि "सरकारे मुस्तफा सैयद उल अंबिया मालीके दो जहाँ जनाबे मोहम्मद उर रसूल अल्लाह सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम के पास जाओ आप लोगों की सिफारिश करेंगे। फिर सब लोग जब मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम  के पास पहुंचेंगे और शफात की दरखास्त पेश करेंगे तो हुजूर नबी करीम फरमाएंगे कि मैं इसके लिए तैयार हूं। यह बात  फ़रमा कर अल्लाह के प्यारे नबी अल्लाह ताला की बारगाह में सजदा करेंगे।  अल्लाह रब्बुल इज्ज़त फरमाएंगा, ऐ मोहम्मद !  सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम सर उठाओ। कहो सुना जाएगा। मांगो पाओगे शफाअत करो क़बूल की जाएगी। 


अब आगे क्या होगा..?

मेरे प्यारे अज़ीज़ दोस्तों ! अब हिसाब किताब शुरू होगा।  मीज़ान-ए-अमल  (नेकी बदी तोलने की तराजू)  में आमाल तौले जाएंगे।   याद रहे दोस्तों उस वक्त हर एक के हाथ पांव बदन के हर हिस्से आपके ख़िलाफ़ गवाही देंगे। और ज़मीन जिसके ऊपर कोई बुरा काम किया था वह भी गवाही देने को तैयार होगी। उस वक्त ना कोई यार होगा न मददगार न बाप बेटे के काम आएंगे ना बेटा बाप का।  जिंदगी भर का सब किया हुआ सामने होगा ना गुनाहों से इंकार कर सकते हैं ना कहीं से नेकियां मिल सकते हैं उस बेकसी के वक्त में मददगार दस्तगीर हुजूरपुर नूर महबूब ए खुदा मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम काम आएंगे और अपने मानने वालों की शफाअत फरमाएंगे...।


नोट : आशिकाने रसूल तब आप ही बताइए हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं, ज़रा उनको भी बताएं जिनकी अक्ल पर अब तक पर्दे पड़े हैं हो सके आपके इस Share ,करदा Post से उन सब की अक़ल में रोशनी आ जाए।

दोस्तों ..!  और एक बात अगर इस पोस्ट के अंदर कहीं भी कुछ किसी तरह की कोई ग़लती या भूल हुई है तो ज़रूर Comment करके आप बताएं...।


 अल्लाह जज़ा-ए-ख़ैर अता फ़रमाए।

ख़ुदा हाफ़िज़