दुनिया और आख़िरत में नफ़ा के लिए 25 सुनहरी उसूल।
हज़रत खालिद बिन वलीद फरमाते हैं हम रसूलुल्लाह की ख़िदमत में हाज़िर थे कि एक शख्स हाज़िर हुआ, अर्ज़ की या रसूल अल्लाह ! मैं कुछ बातें पूछने के लिए हाज़िर हुआ हूं जो मुझे दुनियां और आख़िरत में नफा दे। आप मोहम्मद ﷺ ने फ़रमाया जो चाहो पूछो।
01_उसने कहा : मैं सबसे बड़ा आलिम बनना चाहता हूं।
आप मोहम्मद ﷺ ने फरमाया : तक़वा इख़तियार करो, सबसे बड़ा आलिम बन जाओगे।
02_उसने कहा : मैं सबसे बड़ा मालदार बनना चाहता हूं।
आप मोहम्मद ﷺ ने फरमाया : क़नाअ़त इख़तियार करो, सबसे बड़ा ग़नी (मालदार) बन जाओगे।
03_उसने कहा : मैं सबसे बड़ा आदिल (इंसाफ करने वाला) बनना चाहता हूं।
आप मोहम्मद ﷺ ने फरमाया : जो तुझे अपने लिए पसंद है वही लोगों के लिए भी पसंद करो, सबसे बड़ा आदिल बन जाओगे।
04_उसने कहा : मैं सबसे अच्छा आदमी बनना चाहता हूं।
आप मोहम्मद ﷺ ने फरमाया : लोगों को नफा पहुंचाया करो, सबसे अच्छा आदमी बन जाएगा।
05_उसने कहा : मैं लोगों में सबसे ज्यादा अल्लाह का खास बंदा बनना चाहता हूं।
आप मोहम्मद ﷺ ने फरमाया : अल्लाह का जिक्र कसरत (ज्यादा से ज्यादा) से किया करो, अल्लाह का खास बंदा बन जाएगा।
06_उसने कहा : मेरा इमान कामिल (मुकम्मल) हो।आप मोहम्मद ﷺ ने फरमाया : अपने अख़लाक़ अच्छे करो, तुम्हारा ईमान कामिल हो जाएगा।
07_उसने कहा : मैं मोहसीनीन (अच्छे लोगों ) में से होना चाहता हूं।
आप मोहम्मद ﷺ ने फरमाया : अल्लाह की इबादत ऐसे करो, जैसा कि तुम उसे देख रहे हो। इसलिए कि अगरचे तुम उसे नहीं देख रहे हो, वह तुम्हें देख रहा है।
08_उसने कहा : मैं चाहता हूं कि अल्लाह के फरमाबरदार में से हो जाऊं।
आप मोहम्मद ﷺ ने फरमाया : फ़राइज़ को अदा करो, फरमाबरदार में से हो जाओगे।
09_उसने कहा : मैं अल्लाह ताला से गुनाहों से पाक मिलना चाहता हूं।
आप मोहम्मद ﷺ ने फरमाया : बाद-ए-अज़ जिनाबत ( यानी बीवी से सोहबत करने ) के फौरन बाद गुस्ल (स्नान) किया करो, अल्लाह पाक से गुनाहों से पाक मिलोगे।
10_उसने कहा : मैं चाहता हूं कि क़यामत के दिन मैं नूर से उठाया जाऊं।
आप मोहम्मद ﷺ ने फरमाया : अपने ऊपर और किसी पर भी ज़ुल्म ना कर ! क़यामत के दिन नूर से उठेगा।
11_उसने कहा : अल्लाह ताला मेरे ऊपर क़यामत के दिन रहम करे।
आप मोहम्मद ﷺ ने फरमाया : अपने ऊपर भी रहम कर और अल्लाह के बंदों पर भी रहम कर ! अल्लाह तुम पर कयामत के दिन रहम फरमाए गा।
12_उसने कहा : मेरे गुनाह कम हो।
आप प्यारे मोहम्मद ﷺ ने फरमाया : इस्तिग़फ़ार की कसरत कर ! अल्लाह तेरे गुनाह कम कर देगा।
13_उसने कहा : मैं लोगों में सबसे ज़्यादा इज्ज़त वाला बनूं।
आप प्यारे मोहम्मद ﷺ ने फरमाया : मख़लूक़ में से किसी को अपनी हाजत ना बता। सबसे ज़्यादा इज्ज़त वाला बन जाएगा।
14_उसने कहा : सबसे ज़्यादा ताक़तवर बन जाऊं।
आप प्यारे मोहम्मद ﷺ ने फरमाया : अल्लाह पाक पर तवक्कोल (भरोसा) इख़्तियार करो ! सबसे ज़्यादा ताक़तवर बन जाएगा।
15_उसने कहा : मेरा रिज़्क़ कुशाद ( यानी मालो दौलत में ज़्यादाती ) हो ।
आप प्यारे रसूल मोहम्मद ﷺ ने फरमाया : बावज़ू ( यानी हमेशा वज़ू की हालत में ) रहा करो ! तुम्हारे रिज़्क कुशादा हो जाएगा।
16_उसने कहा : मैं अल्लाह और उसके रसूल का महबूब बनना चाहता हूं।
आप प्यारे मोहम्मद ﷺ ने फरमाया : जो अल्लाह और उसके रसूल को पसंद है, तू भी उसे पसंद कर ! अल्लाह और उसके रसूल का महबूब बन जाएगा।
17_उसने कहा : मैं क़यामत के दिन अल्लाह ताला के गुस्से से बचना चाहता हूं।
आप मोहम्मद ﷺ ने फरमाया : अल्लाह की मख़लूक़ पर गुस्सा करना छोड़ दें ! वह अपना गुस्सा से बचा लेगा।
18_उसने कहा : या रसूल अल्लाह ! मेरी दुआएं क़ुबूल हो।
आप प्यारे रसूल मोहम्मद मुस्तफा ﷺ ने फरमाया : हराम खाना छोड़ दे ! एरी दुआएं क़ुबूल होगी।
19_उसने कहा : या रसूल अल्लाह ! मैं चाहता हूं कि अल्लाह ताला क़यामत के दिन मुझे ज़िल्लत से बचा ले।
आप प्यारे रसूल ﷺ ने फरमाया : अपने आप को ज़िना से बचा ! अल्लाह तुझे ज़िल्लतों से बचा लेगा।
20_उसने कहा : या रसूल अल्लाह ! मैं चाहता हूं कि क़यामत के दिन अल्लाह मेरे ऐबों को छुपा दे।
आस मोहम्मद ﷺ ने फरमाया : दुनिया में अपने भाइयों के ऐबों को छुपा ले ! अल्लाह क़यामत के दिन तुम्हारे ऐबों को छुपा लेगा।
21_उसने अर्ज़ किया : या रसूल अल्लाह ! गुनाहों से क्या चीज़ नजात देती है।
आप प्यारे मुस्तफा ﷺ ने फरमाया : आंसू | तवाज़ो (यानी दूसरों के सामने अदब-व-खुशमिजाज के साथ पेश आना ) | अमराज़ ( यानी बीमारियां )
मेरे अज़ीज़ प्यारे दोस्तों ! यहां पर मैं कुछ कहना चाहूंगा ! बीमारी भी अल्लाह ताला की एक बड़ी नीमत है बीमारी से गुनाह साफ होते हैं। हमें चाहिए जिस तरह के भी बीमारियां हो हमें उसे सबर करते हुए अल्लाह का शुक्रिया अदा करना चाहिए। क्योंकि बीमारी से गुना दरख़्त के पत्ते की तरह झड़ते हैं। लेकिन बड़े अफसोस की बात है कि हम जैसे अकलमंद इंसान समझने के बावजूद भी उस पर अमल नहीं करते हैं।
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22_उसने कहा : या रसूल अल्लाह ! सबसे बड़ी नेकी क्या है ?
आप मोहम्मद ﷺ ने फरमाया : अच्छे अख़लाक़ | तवाज़ो | और मुसीबत पर सब्र
23_उसने कहा : या रसूल अल्लाह ! बुराइयों में सबसे बड़ी बुराई क्या है ?
आप प्यारे मोहम्मद ﷺ ने फरमाया : बद-अख़लाक़ी और बुख़ल।
24_उसने अर्ज़ किया ! अल्लाह के गुस्से को दुनिया और आख़िरत में क्या चीज़ ठंडा करती है ?
आप रसूल ﷺ ने फरमाया : चुपके चुपके सदका करना और सुला रहनी करना ( यानी हर एक से नरमी मामला करना )
25उस शख़्स ने मेरे प्यारे आक़ा करीम मोहम्मद ﷺ की बारगाह में यह बात दर्ज़ की : या रसूल अल्लाह ! जहन्नम की आग को क़यामत के दिन क्या चीज़ बुझ आएगी ?
हमारे प्यारे आका करीम, रऊफ उर रहीम, सैयद उल कौनैन, सैयद उल अंबिया, सैयद उर रसूल, हसनैन करीमैन के नाना जान, फातमा जहरा के बाबा जान, मक्की सरदार, मदनी ताजदार, हम गुनाहगारों के खरीदार, नाइब-ए-परवरदिगार,जनाबे मोहम्मद उर रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया : दुनिया में दुख और मुसीबतों में सब्र करना।
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