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अक़लमन्द और जाहिल के नजदीक शैतान।
हज़रत वहब फरमाते हैं कि पहाड़ को एक एक चट्टान करके या एक पत्थर करके हटाना शैतान के लिए आसान है अक़लमन्द मोमिन इंसान को गुमराह करने और भटकाने से। शैतान सबसे पहले अकलमंद लोगों पर हमला करता है, जब उसकी बस उन पर नहीं चल पाती हैं तो वह जाहिल की तरफ पलट आता है, और उस को काबू करके गुनाहों में मुब्तिला करदेता है। उस इंसान को आवाम के सामने मुंह काला करने और संसार होने पर मजबूर और फांसी चढ़ने पर हलाक कर देता है।
वह इंसान जो नेक आमाल करने में बराबर तो होते हैं मगर उनके दरमियान में पूरब से पश्चिम तक का फासला होता है उस इंसान से जो कि एक अक़ल रखते हैं । किसी भी चीज को करने से पहले अक़ली दरवाजे से गुजरते हैं। यानी एक अकलमंद और जाहिल के दरमियान पूर्व से पश्चिम तक का फासला होने का फर्क है।
अल्लाह तबारक व ताला की जितनी इबादत सोच और समझ के साथ हो सकती है इससे बेहतर कोई और इबादत नहीं हो सकती।
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बे-अकल-मन्द के लिए मौत बेहतर है।
सवाल :
इमाम इब्न मुबारक से सवाल किया गया कि इंसान को सबसे बेहतर कौनसी नीमत अता फरमाई गई।
जवाब :
आपने फरमाया : "फितरती अक़ल" अर्ज किया गया अगर किसी के पास यह ना हो तो : आपने फरमाया इसके बाद दूसरी बेहतर नीमत अखलाकमन्द, हुस्न-व-अदब। फिर उस शख ने अर्ज किया अगर किसी के पास यह भी ना हो तो ? आपने फरमाया : दुनिया में उसका कोई एक नेक दोस्त हो जिससे वह बेहतर मशवरा ले सकता है। यानी एक अच्छा सच्चा मजहबी करीबी दोस्त।
उस आदमी ने फिर पूछा किसी को अगर दोस्त ना हो ? तो आपने फरमाया : दुनिया में जिस आदमी का बेहतर दोस्त ना हो उसे चाहे किस ज्यादा ख़ामोशी एख्तियार करें। फिर उसने पूछा अगर यह भी ना हो तो ? आपने फरमाया जिस शख्स के पास इन चीजों में से कोई ना हो तो उसको मौत आ जाना चाहिए।
पांव का पर्दा और अकल
हकीम हसन कहते हैं मुझे शाही महल में बुलाया गया जब मैं कमरा में दाखिल हुआ तो एक पर्दा लटकता हुआ देखा और उसके पीछे से एक पाव दिखाई दिया जिस पर अल्लाह की आता की हुई नीमत का आसार दिख रहा था। जब मैं उस पांव को देखा तो वह वापस हो गया।
मैंने कहा : इस पाव वाले के लिए जरूरत है कि वह दो ताकतवर को रखें ताकि यह पांव बाहर ना आप आए, और अपनी जगह पर ही रहे।
पर्दे के पीछे से एक आवाज आई : तुम अपने पेशा-ए-तिब पर ध्यान रखो ! क्योंकि अक्ल ही गलत कामों से रोकने वाली है।
मेरे अज़ीज़ दोस्तों ! आप तो इस पोस्ट को पढ़ने के बाद समझ ही गए होंगे कि अकल इंसान के अंदर क्या मकाम रखता है। हम लोगों को कोई भी कदम उठाने से पहले अकल की सोच से सोच लेना चाहिए कि यह सही है या गलत। क्योंकि फैसला अगले से किया जाए तो वह हमेशा के लिए सही होता है, और अगर जज्बात में आकर दिल से फैसला किया जाए तो हो सकता है उससे किसी दूसरे पर गलत असर आ जाए।
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