(बहारे शरीयत जिल्द 1 पेज नंबर 640)
मस्जिद अल्लाह का घर है वह इबादत के लिए मनाया जाता है ना कि सोने के लिए, लिहाजा कमेटी को चाहिए कि वह लोग इमाम साहब को रहने सोने के लिए अलग से इंतजाम करें, अगर किसी इंतिजामियां के घर जगह हो तो इमाम साहब को वही ठहराएं। जब तक कि इमाम साहब के लिए इंतजाम ना कर ले। और अगर कहीं भी जगह नहीं मिल रही तो इमाम साहब को ठहरने के लिए तो फिर मजबूरी की सूरत में इमाम साहब को मस्जिद में एक एतकाफ की नियत करके सो सकते हैं लेकिन चारपाई का इस्तेमाल ना करें।
कि यह मस्जिद के अदब के खिलाफ है इमाम साहब को चाहिए कि मोटे बिस्तर वगैरह का इंतजाम करवा ले चारपाई का इस्तेमाल ना करें। कमेटी वाले जितना जल्दी मुमकिन हो इमाम साहब के लिए इंतजाम करें। अफसोस का मकाम है कि किसी के घर कोई मेहमान आ जाए तो उसके लिए इंतजाम कर लेते हैं लेकिन एक इमाम के लिए जगह नहीं। अल्लाह ऐसी कमेटी वालों को हिदायत दे और जब तक इमाम साहब के लिए जगह का इंतजाम ना हो अपने ही घर सुलाएं।
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