क़ब्र की लंबाई चौड़ाई
मेरे अज़ीज़ मुसलमान भाइयों ! आज किस पोस्ट के अंदर इस्लाम के कुछ इन बातों को जानने वाले हैं। जो कि पहला है क़ब्र की लंबाई चौड़ाई।। मय्यत को दफन करना क्या है।। मुर्दा बच्चे को कफन दफन कैसे करें।। इन तमाम बातों को जानने के लिए आप पोस्ट को जरूर आखिर तक पढ़े...!
गुज़ारिश आप लोगों से मोहब्बत आना गुजारिश है .! पोस्ट के अंदर टाइपिंग मिस्टेक कहीं मिले तो आप हमें जरूर कमेंट बॉक्स में बताएं ताकि मैं उसे सही कर दूं। दोस्तों जहां तक हो सके इस्लामिक ऐसी पोस्ट उसको अपने दोस्तों तक शेयर लाजमी तौर पर करें..!
दुआ़ हमेशा रब से दुआ रहे कि हम जैसे मुसलमान भाइयों को आपस में इत्तिहाद और इस्लामिक बातों को पढ़ने सुनने जानने से ज्यादा अमल करने की तौफीक अता फरमाए। आमीन सुम्नामा आमीन।।
मेरे अज़ीज़ दोस्तों ! चाहे आप जिस धर्म मज़हब से ताल्लुक रखें लेकिन हर शख्स को दूसरे मज़हब की बातों को जानने का शौक और दिलचस्प होता है। अगर आप जानना चाहते हैं कि इस्लाम धर्म के अंदर क़ब्र की लंबाई चौड़ाई क्या है तो नीचे दिए गए मस्अला को ज़रूर पढ़ें।
मस्अला : क़ब्र की लंबाई मैयत के कद Height के बराबर हो और चौड़ाई आधे क़द की हो। क़ब्र की गहराई कम से कम आधे क़द की हो। अगर गहराई भी क़द के बराबर हो तो यह बेहतर है। मुतवस्सत दर्जा यह है कि सीना तक हो। इस गहराई से मुराद यह है कि लहद या संदूक वाली क़ब्र इतना गहरा होना चाहिए ऐसा नहीं हो कि जहां से खोदनी शुरू की हो वहां से आखिर तक गहराई मिक़दार समझा जाए।
लहद और संदूक वाली क़ब्र के बारे में अगली वाली पोस्ट के अंदर जिक्र करेंगे। और उसमें यह भी बयान किया जाएगा कि क़ब्र कितने प्रकार की होती हैं। इंशाल्लाहुल अज़ीज़।।
मय्यत को दफन करना
मेरे प्यारे दोस्तों ! बहुत सारे लोगों के जेहन में ऐसी बातें होती हैं की उसका माइंड mind हमेशा उसे प्रेशर करते रहता है कि मुसलमान धर्म का कोई शख्स मर जाए तो उसे लोग मिट्टी के अंदर दफन कर देते हैं। क्या इसके लिए इस्लाम धर्म मुसलमानों को हुक्म देता है ? अगर देता है तो क्या हर मुसलमान को उस मय्यत को दफन करना जरूरी है या नहीं है ?
दोस्तों ! मेरा जवाब यह है कि मरने के बाद मुसलमानों को मिट्टी के अंदर दफन करना यह इस्लाम बुक में देता है। जिस हुक्म का जिक्र कुरान शरीफ के अंदर है। अल्लाह फरमाता है [ मिन्हा ख़लक़ना-कुम व फ़ीहा नुईदु-कुम व मिनहा नुख़्रिजू-कुम तारतन-उख़रा ।। مِنْھَا خَلَقْنَاکُمْ وَفِیْھَا نُعِیْدُکُمْ وَمِنْھَانُخْرِجُکُمْ تَارَۃًاُخْرَیٰ ] यह क़ुरआन शरीफ की आयते करीमा है जिसको हर मुसलमान शख्स कब्र पर मिट्टी डालते समय पढ़ते हैं।
दोस्तों ! इसी फरमान से हमें पता चलता है कि मुसलमानों को जिस चीज से पैदा किया गया है फिर उसी चीज में दफन कर देना चाहिए। जो कि इस आयते करीमा का मतलब है।
दूसरे सवाल का जवाब यह है कि मय्यत को दफन करना यह फर्ज़-ए-किफ़ाया है। यानी किसी एक ने मैयत को दफन कर दिया तो सब लोग इस काम से आजाद हो गए। यानी गुनाहगारों में शामिल नहीं होगा लेकिन हम सब को चाहिए कि उस मैयत के जनाजे में शरीक होकर अपनी आखिरत को याद करें और वहां के लिए जिंदगी में रहकर कुछ करने की सोचें।
मुर्दा बच्चे का कफन दफन कैसे करें ?
मस्अला : मुसलमान मर्द का बच्चा या मुसलमान औरत का बच्चा जिंदा पैदा हुआ फिर मर गया। तो उसको ग़ुस्ल-व-कफन देने के बाद उसकी नमाजे जनाजा पढ़ेंगे, और अगर बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ तो वैसे ही नहला कर एक पाक कपड़े में लिपटकर दफन कर देंगे उसके लिए जनाजे की नमाज नहीं पढ़ी जाएगी ना ही सुन्नत तरीका पर गुसलु कफन दिया जाएगा।
बच्चा का उल्टा, सिर की जानिब से पैदा होना
मस्अला : जो बच्चा सिर की जानिब से पैदा हुआ और सीना निकलने तक जिंदा रहा फिर मर गया तो जिंदा माना जाएगा। और जो बच्चा पैर की तरफ से पैदा हुआ और कमर निकलने तक यानी कमर तक बाहर आ चुका था कि उस हालत में जिंदा रहा फिर मरा तो जिंदा माना जाएगा। अगर पैर की तरफ से कमर तक सिर की तरफ से सीना तक निकलने से पहले बच्चा मर जाए अगरचे उसने आवाज दी हो तो ऐसी कंडीशन में बच्चा मरा हुआ समझा जाएगा।
मरा हुआ बच्चे का हश्र में हिसाब-व-किताब।
सवाल : क्या जो बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ उसका नाम रखा जाएगा कि नहीं और उसका हश्र में हिसाब किताब होगा..?
मस्अला : बच्चा चाहे ज़िंदा पैदा हो या मरा हुआ और चाहे उसकी शक्ल सूरत पूरी तरह से बना हो या अधूरा हो। हर हाल में उस बच्चे का नाम रखा जाएगा। क्योंकि कयामत के दिन उस बच्चे को बुलाया जाएगा उसका भी हशर होगा।
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