किन लोगों की जनाज़ा की नमाज़ नहीं पढ़ी जाती है।
मेरे अज़ीज़ दोस्तों ! आज के इस पोस्ट के अंदर यह जानने वाले हैं के किन-किन लोगों की जनाजे की नमाज पढ़ी जाती है और किन लोगों की नहीं पढ़ी जाती है। इस्लाम मजहब हमारी हर वक्त मदद करता है। पैदा होने से लेकर कब्र में जाने तक सही और आसान रास्ता बताता है।
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बहुत सारे लोगों के दिमाग में यह बात आती है कि इंसान तो सब है चाहे वह मुस्लिम हो सिख या ईसई हिंदुओं हो सब तो इंसान हैं। क्या किसी मजहब से ताल्लुक रखने वाला मर जाए तो उसको इस दुनिया से रुखसत कैसे करें ?
इस सवाल के जवाब में इस्लाम यह बताता है के मुसलमान जब इंतकाल कर जाए तो उसे दफनाने से पहले। यानी जमीन के अंदर पहुंचाने से पहले उससे गुसल दो फिर कफन पहनाओ उसके बाद उस की नमाजे जनाजा पढ़ो तब उसे कब्र में रखो फिर मिट्टी देकर उसको तद सीन कर दो।
यहां पर इस्लाम हमें यह भी बताता है कि जनाजे की नमाज सिर्फ मोमिन मुसलमान की पढ़ी जाए। मुसलमान के अंदर भी कुछ ऐसे होते हैं जिन की नमाजे जनाजा नहीं पढ़ी जानी चाहिए। वह आप नीचे पढ़ने के बाद जान जाएंगे।
मस्अला : हर मुसलमान शख्स की जनाजे की नमाज़ पढ़ी जाए । अगरचे वह शख्स कितना ही गुनहगार मुरतकिब-ए-कबाइर हो। लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं जिनकी नमाज़े जनाजा ना पढ़ी जाए। बागी यानी जो इमाम बरहक़ के खिलाफ लड़ने को निकले और उसी बगावत की हालत में मारा जाए। दूसरा डाकू डाका मारने की हालत में मारा गया तो ऐसे लोगों को ना गुसल दिया जाए नाही उनकी जनाजे की नमाज पढ़ी जाए। जिसने कई लोगों को गला घोट कर मार डाला। वह शख्स जिसने अपने मां या बाप को मार डाला ऐसे लोगों की जनाजे की नमाज नहीं पढ़ी जाए। इस्लाम ऐसे लोगों की जनाजे की नमाज़ पढ़ना हुक्म नहीं देता है।
नोट : दोस्तों इस्लामी जानकारी से संबंध ज्यादा जानकारी के लिए हमारी अगली पोस्ट को जरूर पढ़ें। जहां तक हो सके इसे शेयर, कमेंट करके हमें बताएं। ताकि मेरी हौसला अफजाई हो।
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