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क्या जो जिस क़ौम से मोहब्बत रखेगा कयामत के दिन उसी के साथ उठाया जाएगा ?

क्या जो जिस क़ौम से मोहब्बत रखेगा कयामत के दिन उसी के साथ उठाया जाएगा ?


दुनिया में जिस क़ौम के साथ मोहब्बत रखेगा क़यामत के दिन उसी क़ौम के साथ उठाया जाएगा। 




सवाल : क्या फरमाते हैं ओलमा-ए-किराम व मुफ्तियान-ए-एज़ाम इस मस्अला के बारे में कहते हैं जो कोई जिस क़ौम के साथ मोहब्बत रखेगा उसको उसी काम के साथ उठाया जाएगा क़यामत के दिन। अगर कोई मुसलमान किसी क़ौम के साथ मोहब्बत रखें तो क्या मुसलमानों को भी उसी क़ौम के साथ उठाया जाएगा ? 


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जवाब : बेशक जो क़ौम जिससे मोहब्बत करें उसका हशर उसी के साथ होगा यानी अगर कोई कुफ्फार से मोहब्बत करे तो उसका हशर कुफ्फार के साथ होगा और अगर कोई मुसलमान से मोहब्बत करे तो उसका हशर मुसलमान के साथ होगा।  

जैसाकि फतवा-ए-रिज़विया में है। अल्लाह के प्यारे रसूल फरमाते हैं। आदमी का हशर उसी के साथ हो जिससे मोहब्बत रखता है। (इसको इमाम मोहम्मद ने और इब्ने माजा के एलावा हदीसों की मशहूर माकूल 6 किताबों के अइम्मा ने रिवायत किया है। हजरत अनस से और बुखारी व मुस्लिम ने इब्ने मसूद से अहमद व मुस्लिम ने जावेद से अबू दाऊद ने अबूजर से  रिवायत है। 

(फतवा-ए-रिज़विया : जील्द : 11 पेज़ : 393 )


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