ईसाई का मुसलमान होना इस्लामी दिलचस्प वाकया
रिवायत हजरत ए मालिक बिन दीनार रहमतुल्लाहि अलैही एक दिन राहिब नाम का एक ईसाई शख़्स के गिरजे से गुज़रे। तो आपने अंदर से उस ईसाई राहिब की आवाज सुनी। जो यह कह रहा था।
ऐ मुकद्दस ज़ात जिसके हरम में डरने वाले और लोगों के सताए हुए पनाह लेते हैं। मैं तेरे इंतकाम से रिहाई की दरखास्त करता हूं। और अपने गुनाहों की माफी चाहता हूं उन गुनाहों की जिनकी लज्जत मिट गई और मशक्कत अब तक बाकी है।
हजरत मालिक बिन दिनार यह आवाज सुनकर राहिब के पास पहुंचे। और उनसे पूछें कि यह इंकलाब, बदलाव कैसे आ गया । तो वह बोला कि मैं ईसाई था लेकिन अब मैं ईसाई नहीं रहा बल्कि अब मैं मुसलमान हो गया हूं।
मामला कुछ ऐसा हुआ की एक रात जब मैं सोया तो ख्वाब में कोई तसल्ली बख़्श अंदाज़ में कहने वाला कह रहा था। ऐ राहिब भला कब तक तुम शिरक कुफ़्र में मुब्तिला रहेगा। जिसे तुम लोग खुदा समझते हो खुदा नहीं है। बेशक हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम अल्लाह के बंदे और पैगंबर हैं। अल्लाह का बेटा नहीं और ना ही वह खुदा है।
राहिब : मैंने पूछा आप कौन हैं ? तो फरमाया मैं गुनहगारों का शफी हूं। आखिरु ज़्ज़मा का पैगंबर हूं। और वह रसूल हूं जिनकी बशारत, खुशखबरी हजरत ईसा ने भी दी और जिसकी आमद का जिक्र इंजील शरीफ़ में भी मौजूद है। मैं वह हूं जिनकी नबूवत की गवाही हजरत मूसा ने भी दी और जिनके औसाफ़ तोरात शरीफ के अंदर मौजूद है।
फिर उस मुबारक शख़्स ने अपने रहमत का हाथ मेरे सीने पर फ़ेरा और यह दुआ पढ़ी।
इलाही तू अपने बंदे के दिल में हिदायत वाली बात डाल दे। और उसे सही रास्ता और सच्चाई की तौफीक अता फरमा।
राहिब : जैसे मैं नींद से जगा मेरे अंदर इस्लाम की मोहब्बत थी और मैं अब मुसलमान हूं। ।।अल्हम्दुलिल्लाह।।
सबक़ मेरे अज़ीज़ दोस्तों इस्लामी भाइयों ! इस वाक्य से हमें बहुत कुछ सीख मिलता है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि आज भी हमारे और आपके प्यारे नबी सैयद उल अंबिया हजरत मोहम्मद मुस्तफा ﷺ जिंदा है और कयामत तक हादी रहबर हैं। आप जिस पर नजरे करम फरमाना उनकी तकदीर बदल जाती है जहन्नम में गया हुआ जहन्नम से वापस आ कर जन्नत का मालिक बन जाता है।
0 Comments
मेरे प्यारे दोस्तों ! यहां पर आप कोई ग़लत बात कमेंट ना करें। सिर्फ पोस्ट से संबंध कमेंट करें।