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हज़रते सुल्तान महमूद गज़नवी का वाकिया।

 बुरे काम किसकी तरफ से होता है ?



☑  आइए एक बार नबी सल्लल्लाहु  अलैहि वसल्लम की बारगाह में दरूद शरीफ पढ़लें..!

।।अल्लाहु रब्बू मोहम्मदिन सल्ला अलैही वसल्लम, नह्नू इ़बादु मोह़म्मदीन सल्ला अलैही वसल्लम, सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम।।

रिवायत हज़रते सुल्तान महमूद गज़नवी "अलैहि रह़मा" के पास एक कीमती जाम था। [ गिलास, प्याला, सागर और पैमाना को जाम कहते हैं ] एक दिन बादशाह महमूद गजनवी ने दौलत के आराकीन को हुक्म दिया। कि उस कीमती जाम को तोड़ दे। सबने कमी जाहिर की यानी सबने यही कहा इतनी खूबसूरत और कीमती प्याला को तोड़ना मुनासिब नहीं।  

सुल्तान बादशाह ने फिर अयाज को हुक्म दिया कि वह उस प्याला को तोड़ दे। अयाज़ ने अपने बादशाह के हुक्म के मुताबिक उस प्याले को दो टुकड़े कर दिया। बादशाह के दरबार में सब लोग अयाज़ को मलामत करने लगे कि तूने यह क्या गज़ब कर दिया एक कीमती प्याले को तोड़ दिया। 

अयाज़ ने कहा मैंने तो सिर्फ एक प्याला ही तोड़ा है मुजरिम तो तुम लोग हो। कि जिन्होंने है शाही फरमान को तोड़ा है। बादशाह ने थोड़ी देर बाद एक मसनूई / बनावटी नाराजगी के साथ अयाज से पूछा। अयाज़ ! तुमने यह जाम क्यों तोड़ा ? जब कि दरबार के सब लोगों ने इसको तोड़ने से इनकार किया।

अयाज़ ने फौरन हाथ जोड़कर अर्ज की। हुजूर गलती हो गई माफ फरमाइए मैं अपनी गलती को तस्लीम करता हूं। तो बादशाह ने तमाम दरबार वालों से मुखातिब होकर कहा। देखा यही है खुलक़-ए- अयाज़ यानी अखलाक, अक़िदा, सोंच। जिसकी बदौलत वह मेरी नज़रों में अज़ीज़ और प्यारा है।

देख लो ! उसने जाम तोड़ने का वाकया मेरी तरफ मनसूब नहीं किया। बल्कि वह उसे अपनी गलती समझ कर अपनी तरफ मनसुब किया। 

सबक़ पता चला कि नेक और फरमाबरदार अपनी लग़ज़िशों की निस्बत कभी अल्लाह ताला की तरफ नहीं करते और हमेशा अपनी लग़ज़िशों का एतराफ करते हैं। 

देख लीजिए ! शैतान ने हजरत ए आदम अलैहिस्सलाम को सजदा ना किया। तो अल्लाह रब्बुल इज्ज़त ने जब पूछा। तुमने सजदा क्यों नहीं किया ? उसने जवाब दिया ऐ अल्लाह ! यह काम तूने ही मुझसे करवाया है। मगर जब अल्लाह ने हज़रत ए आदम से दरियाफ़त फरमाया। आदम तूने उस दरख़्त के पास क्यों गए ? तो हजरत ए आदम अलैहिस्सलाम ने अर्ज किया। ऐ हमारे रब ! यह हमारी लग़ज़िश है हमने खुद अपनी जानू पर ज़ुल्म किया।

अल्लाह ताला को हज़रत ए आदम का यह इतराफ / मानना पसंद आ गया। और हजरत ए आदम अलैहिस सलाम पर खुश हुआ। 

नोट : मेरे अज़ीज़ इस्लामी भाइयों ! हमें इससे पता चलता है कि जो लोग बुरे काम करके यह कह दिया करते हैं। जी इसमें हमारा क्या कसूर यह तो अल्लाह को मंजूर था तो हो गया। और अल्लाह ही ने यह काम कराया है। मेरे दोस्त ऐसे लोग बड़े नादान बेवकूफ़ और गुनहगार हैं। हमेशा बुरी चीज़ो की निस्बत अपनी तरफ करनी चाहिए और अपनी ग़लती तस्लीम करनी चाहिए।  रब से हमेशा दोबारा है या अल्लाह हमें पिछले और अगले गुनाहों से तौबा करने की तौफीक अता फरमाए अपने हबीब के सबसे हमें सीधी राह पर चलने के लिए आसानी अता फरमाए। 

।।आमीन सुम्मा आमीन।।

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