!السلام علیکم عزیز دوستوں
दोस्तों आज के इस पोस्ट के अंदर आप जाने वाले हैं कि क्या इंसान जानवर की बोली बोल सकता है..? और जानवर की बोली सीखने से क्या नुकसान हुआ आप इस पोस्ट के अंदर पढ़ने वाले हैं। तो पोस्ट को जरूर आखिर तक पढ़ें।
रिवायत हजरत मूसा अलैहिस्सलाम के पास एक दिन एक शख्स हाजिर हुआ। अर्ज़ किया हुजूर..! मुझे जानवरों की बोलियां सिखा दीजिए। मुझे जानवरों की बोलियां बोलना बहुत शौक है मैं चाहता हूं कि मैं जानवर की बोली बोलूं। हजरत मूसा ने फरमाया। तुम्हारा यह सब अच्छा नहीं है इस बात को छोड़ दो।
उस शख्स ने बोला हुजूर ! इसमें आपका क्या नुकसान है मेरा एक शौक है कि मैं जानवर की बोली बोलूं तो आप मेरे शौक को पूरा ही कर दीजिए। हज़रते मूसा अलैहिस्सलाम ने अपने रब की बारगाह में अर्ज़ पेश किया। या रब्बे कदीर ए मेरे खालीक़ वह मालिक यह बंदा ज़िद पर अड़ा है कि मैं इसे जानवर की बोली सिखा दूं। तो रब ने इरशाद फरमाया अगर वह अपनी बात से वापस नहीं आता तो उसे जानवर की बोली सिखा दो। चुनांचे हज़रते मूसा अलैहिस्सलाम ने उस शख़्स को जानवर की बोली सिखा दिया।
मेरे भाइयों वाकिया के अंदर अब मजा आने वाला है। उस शख़्स ने एक कुत्ता और एक मुर्ग पाल रखा था। 1 दिन ऐसा हुआ के खाना खाने के बाद जब उसकी खादिमा दस्तरखान को झाड़ा, तो उसमें एक रोटी का टुकड़ा गिरा। जिसको खाने के लिए कुत्ता और मुर्गा दोनों ही दौड़ पड़ा। मुर्गा ने उस टुकड़े को उठा लिया। कुत्ता ने मुर्ग से बोला अरे जालिम..! मैं तो भूखा था यह टुकड़ा मुझे खाले नहीं देता। तुम्हारी खुराक तो दाना दुमका है। मुर्ग ने बोला घबराओ नहीं..! कल हमारे मालिक का बैल मर जाएगा। कल तुम जितना चाहोगे गोश्त खा लेना। इन दोनों की बातचीत को उसके मालिक ने सुन लिया। जल्द ही उस मालिक ने अपने बैल को बेच डाला।
वह बैल मर तो गया लेकिन नुकसान खरीदने वाले का हुआ। यह मालिक नुकसान से बच गया। दूसरे दिन कुत्ता ने मूर्ख से कहा बड़े झूठे हो आप। झूठ मूठ का मुझे तसल्ली देकर रखा। मुर्गे ने बोला मैं झूठ नहीं हूं। नुकसान से बचने के लिए मालिक ने बैल दूसरे को बेच डाला। अपनी बला दूसरे के सर पर डाल दी।
लो सुनो.! अब फिर, कल हमारे मालिक का घोड़ा मरेगा। जी भर कर उसका गोश्त खा लेना। मालिक ने फिर से इन लोगों की बात सुन ली। नुकसान से बचने के लिए घोड़े को भी बेच डालन दूसरे दिन कुत्ता ने मुर्ग से शिकायत की। तो मुर्गे ने बोला भाई बताओ.! क्या हमारा मालिक बेवकूफ हैं? अपने ऊपर आए हुए नुकसान आपको दूसरे के सर पर डाल देते हैं जैसा के घोड़ा, बैल बेचा तो खरीदार के घर जाकर मर गया। और हमारे मालिक नुकसान से बच गए। अगर हमारे मालिक घोड़ा और गाय को ना बेचते हैं इन्हीं के घर वह मर जाता, तो हमारे मालिक की जान का फिदया बन जाता। यानी मालिक की जान बच जाती। मगर अब कल वह मर जाएगा।
मालिक फिर से इन लोगों की बातों को सुन रहे थे। मालिक यह बात सुनकर बहुत बेचैन बेकरार हो गया। मालिक को कुछ समझ में ना आया आखिर में हजरत मूसा अलैहिस्सलाम की बारगाह में हाजिर हुआ। अर्ज किया हुजूर.! मुझसे गलती हो गई मुझे माफ फरमाइए और बचा लीजिए। क्योंकि मैं कल मरने वाला हूं।
हजरत मूसा अलैहिस्सलाम ने फरमाया नादान.! यह बात मुश्किल है। तुम्हें अब जो बात नजर आ रही है। मुझे उस दिन नजर आ रही थी। जब तुम जानवर की बोलियां सीखने पर जिद कर रहा था। अब मरने के लिए तैयार हो जाओ। चुनांचे दूसरे दिन वह मालिक मर गया।
सबक़ मेरे अज़ीज़ भाइयों..! मालो दौलत पर किसी तरह की कोई कमी या नुकसान हो जाए तो इंसान को गम शिकवा नहीं करनी चाहिए। बल्कि अपनी जान का फ़िदिया समझ कर अल्लाह का शुक्रिया अदा करना चाहिए। जो हुआ बेहतर हुआ। अगर माल व दौलत पर आफत नुकसान ना आता तो हो सकता था के जान चली जाती।
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