मरने से डरना।
दोस्तों जैसा कि आपने Heading Title ही देखकर समझ गये होंगे कि आप इस पोस्ट के अंदर क्या पढ़ने वाले हैं। दुनिया के हर एक शख़्स इस बात पर यक़ीन रखते हैं कि एक ना एक दिन हर एक को इस दुनिया से जाना है यानी अल्लाह का फ़रमान के मुताबिक़ मौत का मज़ा चखना है।
आप ज़रूर यह सोच रहे होंगे कि मौत से लोग डरते हैं या नहीं। और जो लोग मौत से डरते हैं। आखिर वह क्यों डरते हैं ? इस पोस्ट को अंत तक पढ़े हैं अब ज़रूर समझ जाएंगे।
रिवायत सुलेमान बिन अब्दुल मलिक ने एक मर्तबा अबू हाज़िम से "अलैहि रह़मा" पूछा। कि हम मरने से डरते क्यों हैं ? तो आपने जवाब दिया। हम मरने से इसलिए डरते हैं कि इंसान दुनिया आबाद कर लेते है और आखिरत को बर्बाद कर डालते हैं। तो बताओ आबादी से निकलकर वीरान में जाना किसका दिल पसंद करता है ?
सुलेमान ने फिर से पूछा कि क़यामत के दिन अल्लाह की बारगाह में हाजिर होने की क्या सूरत होगी ? लोग किस तरह पेश किए जाएंगे ? आपने जवाब दिया कि नेक आदमी इस तरह पेश होगा। जैसा कि गुमशुदा आदमी बहुत अरसों बाद अपना घर वापस आया हो और घर वालों से खुशी-खशी मिल रहा हो। और बुरे आदमी की मिसाल ऐसी होगी जैसा कोई भागा हुआ गुलाम पकड़ा जाए। उस गुलाम को आक़ा के सामने पेश किया जाए। वह कांपता और डरता हुआ पेश हुआ।
सबक़ दोस्तों हमें हमेशा अपनी आखिरत को सवारने और आबाद करने की फिक्र करना चाहिए। ताकि जब हम मरे तो इस लायक बने। जैसा कि एक शायर का मकाम यह है। मोमिन जब मरता है तो हंसता हुआ मरता है। इसलिए कि वह वीरान से आबादी की तरह और प्रदेश से अपने घर की तरफ जा रहा होता है।
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