अस्सलामु अलैकुम दोस्तों..! आप सभी का इस वेबसाइट पर खुशामदीद है आरबियन रजा की जानिब से।
एक दिन अल्लाह के प्यारे नबी हजरत ए मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम की बारगाह में एक शख्स आया। और अर्ज़ करने लगा। अल्लाह के रसूल..! मैं दीन और दुनियां की अच्छाई के लिए कुछ पूछना चाहता हूं। अल्लाह के प्यारे नबी ﷺ ने फरमाया पूछलो जो कुछ भी पूछना है। उस शख्स ने अर्ज की ए अल्लाह के रसूल ﷺ ..!
मेरी ख्वाहिश यह है कि मैं सबसे ज़्यादा जानने वाला हो जाऊं। तो प्यारी आक़ा ने फरमाया। अल्लाह से डरते रहो..! ज़्यादा जानने वाले हो जाओगे..!
उस सहाबी ने अर्ज की या रसूल अल्लाह..! मैं चाहता हूं कि मैं सबसे ज़्यादा ग़नी (अमीर) बन जाऊं। तो अल्लाह के प्यारे नबी ﷺ ने फरमाया। कनाअ़त इख्तियार करो सबसे ज़्यादा ग़नी हो जाओगे।
उसने फिर आज की मेरे प्यारे आक़ा ﷺ मैं चाहता हूं कि अच्छा बन जाऊं। नबी ने फरमाया लोगों के साथ अच्छाई करो..! अच्छा बन जाओगे।
उसने फिर से अर्ज़ की ए अल्लाह के प्यारे नबी ﷺ मैं चाहता हूं कि मैं इंसाफ करने वाला बन जाऊं। तो प्यारे नबी ﷺ ने फरमाया जो अपने लिए पसंद करते हो, दूसरों के लिए भी वही पसंद करो। इंसाफ करने वाला बन जाओगे...!
उसने अर्ज़ की। मैं चाहता हूं कि मैं अल्लाह का खास बंदा बन जाऊं। मक्की सरदार मदनी ताजदार हजरत ए मोहम्मद ﷺ ने फरमाया अल्लाह ताला की याद कसरत से ( ज्यादा से ज्यादा )किया करो..! अल्लाह के खास बंदे बन जाओगे।
उस साहब-ए-रसूल ने अर्ज़ की। मैं चाहता हूं कि मेरा ईमान मुकम्मल हो जाए। प्यारे नबी ﷺ ने फरमाया अपने अखलाक " चाल चलन, तौर तरीके " को सही कर लो..! ईमान कामिल हो जाएगा।
फिर अर्ज़ की। मैं चाहता हूं कि अल्लाह के दावेदार बन जाऊं। प्यारे नबी ﷺ ने फरमाया अल्लाह के फराइज़ को अदा करते रहो...! अल्लाह के दावेदार बन जाओगे।
उस सहाबी ने फिर अर्ज की। मैं चाहता हूं कि कयामत के दिन मैं नूर में उठाया जाऊं। तो अल्लाह के रसूल ﷺ ने फरमाया किसी पर जुल्म ना करो...! क़यामत के दिन नूर में उठाए जाओगे।
फिर अल्लाह के प्यारे नबी की बारगाह में अर्ज की। अल्लाह के रसूल ﷺ मैं चाहता हूं कि अल्लाह मुझ पर रहम फरमाए। तो प्यारे आका ने प्यारा इरशाद फरमाया खुद अपनी जान पर और अल्लाह की मखलूक पर रहम करो...! अल्लाह आल्हा तुझ पर रहम फरमाएगा।
उस सहाबी ने अर्ज की या रसूल अल्लाह ﷺ ..! मैं चाहता हूं कि मेरा गुनाह कम हो जाए। तो मेरे प्यारे आका ने उसके जवाब में इरशाद फरमाया अल्लाह की बारगाह में ज्यादा से ज्यादा इस्तिग़फ़ार किया करो...! गुनाह कम हो जाएंगे।
फिर उस सहाबी ने रोजी से मुतालिक अर्ज की। अल्लाह के प्यारे नबी ﷺ मैं चाहता हूं कि मेरा रोजी, रिज़्क़ में वुसअत "बरकत" पैदा हो। तो हमारे आपके प्यारे आका ﷺ ने फ़रमाया हमेशा तहारत ( यानी हमेशा पाक हालत पर) पर रहो...! रोज़ी में बरकत पैदा हो जाएगी।
अर्ज़ की...! मैं चाहता हूं कि मैं अल्लाह और उसके रसूल के दोस्तों में से हो जाऊं। तो प्यारे नबी ﷺ ने फरमाया जिससे अल्लाह और उसके रसूल को मोहब्बत है उससे मोहब्बत रखो..! और जिससे अल्लाह और उसके रसूल को दुश्मनी है उससे दुश्मनी रखो...! अल्लाह और उसके रसूल के दोस्तों में से हो जाओगे।
फिर अल्लाह के नबी की बारगाह में यह बात पूछी गई अल्लाह के रसूल ﷺ ..! मैं चाहता हूं कि अल्लाह का गजब मुझ पर ना हो। तो इसके जवाब में मेरे प्यारे आका मक्की सरदार मदनी ताजदार दोनों जहां के मालिक ओ मुख्तार ﷺ फरमाया दुनियां में किसी पर गजब ना करो। तुम अल्लाह के गजब से बच जाओगे।
उस सहाबी ने फिर मेरे प्यारे नबी ﷺ की बारगाह में यह बात पूछते हैं ऐ अल्लाह के रसूल ﷺ..! मैं चाहता हूं कि अल्लाह ताला मेरे ऐबों को लोगों के सामने जाहिर ना करें। अल्लाह के प्यारे नबी ने फरमाया तुम लोगों के ऐबों को किसी के सामने जाहिर ना करो उसे छुपाओगे..! अल्लाह ताला तुम्हारे ऐबों को ढांप देगा।
उस शख्स ने अर्ज़ की या रसूल अल्लाह ﷺ वह कौन सी चीज़ है जिससे मेरा गुनाह धुल जाए। नबियों के सरदार मोहम्मद मुस्तफा ﷺ ने फरमाया [ आंसू' बीमारियां' खुज़ू ] है।
सबक़ नोट : मेरी प्यारे दोस्तों इस वाकिया से हमें पता चल गया कि हमारे नबी करीम ﷺ एक इंसानी शक्ल में दीन और दुनिया की अच्छाई के लिए तशरीफ लाए हैं। इस जमाने के कुछ लोग नबी करीम ﷺ अपनी तरह समझ लेते हैं। जो कि एक बेवकूफ, बे अदब और गुस्ताख का काम है।
[ अल्लाह के रसूल की हदीस है। प्यारे नबी ﷺ इरशाद फरमाते हैं के जिसने मेरे मोए मुबारक की बेअदबी और गुस्ताखी कि उस पर जन्नत हराम है ]
अज़ीज़ दोस्तों इस बात से आपको पता चल गया होगा कि ऐसे लोगों की सजा क्या है...? और मैं उन लोगों को मुबारकबाद पेश करता हूं जो अल्लाह और उसके रसूल की बताई हुई बातों पर चलते हैं और नबी की इज्जत व एहतराम करते हैं।
खुदा हाफ़िज़
0 Comments
मेरे प्यारे दोस्तों ! यहां पर आप कोई ग़लत बात कमेंट ना करें। सिर्फ पोस्ट से संबंध कमेंट करें।