Dear friends ! In today's post I will share with you who is author of Tirmidhi Sharif and their lifestyle, study life etc related his life important life points in Hindi.
इमामे तिर्मीजी किसे कहते हैं ?
प्यारे दोस्तों ! जैसा कि आप लोग को पता है कि दीन ए इस्लाम में कुरान के बाद जिस का मर्तबा है वह है हदीस शरीफ़ का मर्तबा। और हदीस की किताबों में 6 मशहूर किताब है जिसको आला मकाम हासिल है, उसे सब मुसलमान सिहाह-ए-सित्ता के नाम से जानते हैं। (यानी हदीस की 6 मशहूर किताबें) उन्हें 6 किताबों में से तीसरे नंबर पर इमामे तिर्मीजी अलैहि रहमां की किताब को मक़बूलियत हासिल है। किताब का नाम तिर्मीजी शरीफ है इसलिए किताब की तरफ निस्बत करते हुए उस किताब के लिखने वाले को इमामे तिर्मीजी या इमाम बुखारी या फिर इमान मुस्लिम अलैहि रहमां कहते हैं।
इमामे तिर्मीजी का नाम व नसब क्या है ?
इमामे तिर्मीजी अलैहि रहमां की कुन्नियत अबू ईसा और नाम व नसब मोहम्मद बिन ईसा बिन सुरा बिन ज़ुहाक सलमा बैगी है। दोस्तों ! बौगी एक गांव का नाम है जो शहर ए तिर्मीजी से 6 कोस के फासले पर है। उस गांव की तरफ आपको निस्बत होने की वजह से लोग आपको बौग़ी भी कहते थे।
इमामे तिर्मीजी की तारीख़ ए पैदाइश क्या है ?
इनामी तिर्मीजी "तिर्मीजी शहर" के अंदर बौगी नाम से एक गांव में 209 हिजरी में पैदा हुए और 17 रजब सोमवार की रात 279 हिजरी में वफात पाई। और लोगों ने आपको खास "तिर्मीजी शहर" में ही मिट्टी के अंदर सुपुर्द किए।
इमामे तिर्मीजी के उस्ताद कौन हैं ?
इमामे तिर्मीजी इमाम बुखारी के सबसे मशहूर शागिर्द और जानशीन में से सुधार किए जाते हैं। और इमामे तिर्मीजी को यह मकान भी हासिल है के खुद इमाम बुखारी ने कुछ हदीस में इमामे तिर्मीजी की शागिर्दी इख्तियार फरमाई है। और आप इल्म हदीस के लिए हजारों हजारों मील का सफर किए हैं।
इमामे तिर्मीजी के मुसन्निफ कौन हैं ?
इमामे तिर्मीजी अलैहि रहमां ने बहुत सारी किताबें तस्नीफ़ "लिखना" फरमाई हैं। आपकी तमाम किताबों में से हदीस की एक किताब बेहद मशहूर और मकबूल किताब साबित हुई है, जिसका नाम आपने जामी तिर्मीजी शरीफ रखा है। दीन ए इस्लाम में इतना बड़ा मुकाम इस किताब को मिला के सिहाह ए सित्ता में इसे शुमार की जाती है। इमामे तिर्मीजी इस कदर मुफीद किताब है के आपकी तमाम लिखी हुई किताबों में ऊंचा दर्जा रखती ही थी लेकिन इसको सिहाह ए सित्ता की तमाम किताबों पर फ़ौक़ियत हासिल है।
इमामे तिर्मीजी की जिंदगी कैसी थी ?
इमामे तिर्मीजी अलैहि रहमां अपने दौर के इस कदर आबिद और जाहिद थे कि आप की मिसाल में कोई दूसरा नजर नहीं आता था। आप रात में बेदारी और अल्लाह ताला के खौफ से इतने रोए इतने रोए कि आपकी आंखों में आशुब ए चश्मा हुआ, फिर कुछ दिनों बाद आप की आंख की बिनाई चली गई।
नोट : मेरे अज़ीज़ मुसलमान भाइयों और फातिमा जहरा के कनीज़ों, प्यारी बहनों ! आप लोगों से मोहब्बतन गुजारिश यह है कि आप ऐसी इस्लामिक खबरों के लिए इस website को Follow करें और अपने दोस्तों के साथ Share करें ...!
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