Ramzan-Ul-Mubarak ki aamad.
दोस्तों इस्लामी साल का वह महिना आरहा है जिस महीने में मुस्लिम भाई बहुत खुशियां मनाते हैं | सबसे बड़ी बात तो यह है कि अल्लाह ताला ने इस महीने के अनदर बहुत बाद मौका देता हैं कि वह अपने पिछले गुनाहों से तौबा करले, और अपनी आने वाली ज़िंदगी को अच्छे से गुजारने का मौका देता है |
मेरे प्यारे दोस्तों !
मेरे प्यारे दोस्तों ! याद रहे कहीं इस महीने को भूल न जाएँ, यभी याद रखें कि कहें आप इस अज़ीम महेने को कोई गलत कामों में तो नहीं गुज़ार रहें हैं | सब से बड़ी बात तो यह है कि आप इस इस्लामी माहे रमजान उल मुबारक में सही तरीके से इबादत कर रहे हैं कि नहीं | तो चलें अब हमलोग अपने टॉपिक पर आते हैं और जानते हैं कि अल्लाह ताला की सही तरीके सेइबादत कैसे कीजाएगी |
साबसे पहले हमलोग बात करेंगे नमाज़ की [ आप को पता ही होगा कि जब भी कोई चीज
शुरू कीजाती है तो उनके अपने कुछ शर्तें होती है ] इसलिए हम आज की इस पोस्ट के
अंदर सिर्फ नमाज़ की शर्तें बयान करेंगे | जोकि नीचे नंबर देकर बताया गया है |
- 01 : तहारत यानि इसका मतलब होता है, कि नमाज़ी के बदन कपड़े और नमाज़ की जगह पर कोई नजासत ‘नापाकी चीज’ न हो : जैसे पिशाब, पाखाना, खून, शराब, और मुर्गी की नजासत न हो और नमाज़ी बेगैर गुसल, बेवजू न हो | तहारत ऐसी चीज है कि बेगैर इसके किसी शख्स की नमाज़ शुरू हो ही नहीं सकती है |
- 02 : सतरे औरत : यानि इसका मतलब होता है मर्द का बदन नाफ़ से लेकर घुटने तक ढका हो यहाँ तत कि घुटने भी ढाँपा रहे | और औरत का पूरा बदन ढका होना चाहिए सिवाये चहरा और हथेली और टखनों तक के |
- 03 : वकत : इसका मतलब होता है जिस नमाज़ के लिए जो समय मुकर्रर है वह नमाज़ उसी समय पढ़ी जाए जैसे 1 फ़जर की नमाज़ सुबह सादिक़ से लेकर सूरज निकलने तक पढ़ी जाए, 2 जोहर की नमाज़ सूरज ढलने से लेकर हर चीज के साया दो गुना होने तक सिवाये असली साया के, 3 असर की नमाज़ साया के दो गुना होने के बाद से सूरज के डूबने तक, 4 मगरीब की नमाज़ सूरज के डूबने के बाद से लेकर सफेदी गायब होने तक और 5वीं ईशा की नमाज़ सफेदी गायब होने के बाद से सुबह सादिक़ शुरू होने से पहले तक नमाज़ पढ़ी जाए |
- 04 : इस्तिकब-ए-किबला : यानि काबा शरीफ की तरफ चेहरा करना काबा शरीफ कहते पछिम की तरफ चेहरा करके नमाज़ पढ़ना |
- 05 : नियत : इसका मतलब होता है जिस समय की जो नमाज़ फर्ज, सुन्नत, वाजिब, नफल या कजा नमाज़ पढ़नी हो उसकी दिल में नियत करना |
Ramzan ki fazilat jane agli post mein..
- 06 : टकबीर-ए-तहरीमा : इसका मतलब होता है अल्लाहु अकबर कहना इसके कहते ही नमाज़ शुरू होजाती है | अब अगर नमाज़ी किसी से कुछ बात-चीत की या कुछ खाया पिया तो नमाज़ टूट जाएगी |
- नोट : दोस्तों याद रहे ! कि पहले के पाँच शर्त 6वीं शर्त से पहेले होना जरूरी है वरना नमाज़ नहीं होगी| आप के पास रमजान-उल-मुबारक के मुतललिक कोई सवाल हो तो आप जरूर comment box में बताए ताकि मैं आपलोगों को बता सकु |
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