|| फजाइल ए नमाज़ ||
अल्लाह हम सब को नीचे लिखी हुवी बातों को पढ़ने के दौरान शैतान के वसवसे से हिफाजत फरमाए ! आज कि इस पोस्ट में पढ़ेंगे namaz ki fazilat hadith mein kya hai? namaz ki ahmiyat in hindi. और नमाज़ की फ़ाज़ित अहमियत से जुड़ी बातें जानेगे॥
मेरे अज़ीज़ इस्लामी भाइयों मेरे प्यारे आक के गुलामों ! मुझे उम्मीद है कि आप को नीचे लिखे हुवे इस्लाम के सुनहरे कीमती अल्फ़ाज़ से आप की ज़िंदगी के बहुत सारे मसाइल हल होगाए गोनगे ॥ मुझे यकीन ए कामिल है कि आप इस पोस्ट को अपने खाईश व अकारीब, दोस्तों अहबाब में जरूर शेयर करेंगे ॥
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अल्लाह
राबबूल इज्जत कुरान शरीफ में इरशाद फरमाता है :
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और
नमाज़ काइम करो रुकू करने वालों के साथ रुकू करो॥ (पारा 01, सूरह बकरा, रुकू 05,
आयत 43)
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और
अपने घर वालों को नमाज़ का हुक्म दो और खुद उस पर साबित रह। (पारह 16, सूरह ताहा,
रुकू 17, आयात 132)
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बेशक
नमाज़ मना करती है बेहयाई और बुरी बातों से॥ (सूरह अंकबूत, पारा 21, रुकू 01, आयत
45)
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और मैं
ने जिन और इंसान को इबादत केलिए पैदा फरमाया॥ (सूरह जारियात, पाराह 27, रुकू 02,
आयत 56)
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हदीस
शरीफ : हज़रत अब्दुल्ला बिन मसूद रदियालहू अंहु बयान करते है कि मैं ने प्यारे नबी
करीम से पूछा कि अल्लाह ताला को सब से ज्यादा कोनसा अमल महबूब है फरमाया अपने समय
पर नमाज़ पढ़ना, उन्होंने पूछा फिर कोनसा अमल फामय फिर माँ बाप के साथ भलाई करना
उन्होंने पूछा फिर कॉनसा फरमाया अल्लाह ताला के रास्ते में जिहाद करना ॥ (बुखारी
शरीफ जिल्द 01, पेज 76,लाइन 2,3.4)
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हज़रत
अबू होरेरा रादियालहू अनहू से रिवयत है कि उन्हों ने प्यारे नबी करीम मोहम्मद
सेयदुल अंबिया को ये फरमाते हुवे सुना : बताओ अगर तुम में से कसी के दरवाजे पर
दरया हो जिस में रोजाना पाँच 5 मर्तबा गुसल करे तो उस के कबरे में क्या कोहते हो ?
उस के जिस्म में से कुछ मेल बाकी रह जाएगा या नहीं ? सहाबा ए कराम ने अर्ज क्या :
उस के मेल में से कुछ भी नहीं बाकी रहेगा । तो प्यारे नबी करीम फरमाया यही पांचों
नमाज़ की मिसाल है उनकी वजह से अल्लाह ताला गुनाहों को मिटा देता है॥ (बुखारी शरीफ
जिल्द 01,पेज 76, लाइन नंबर 6,7,8)
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हदीस
शरीफ : हज़रत अबू होरेर रदियालहू अनहू से रिवयत है कि अल्लाह के प्यारे रसूल
मोहम्मद ने फरमाया अगर लोग जानते कि अज़ान कहने और सफ ए औवल में कितना सवाब है और किरआ
अंदाजी (यानि नाम फाली करना, कुछ लोगों का नाम कागज पर लिख कर निकालना) के बेग़ैर
इन कामों का मोका न मिले तो वह जरूर कीरआ अंदाजी करेंगे, और अगर उन को सख्त दोपहर
में नमाज़ केलिए जाने के सवाब का मालूम होजाये तो वह जरूर जाएंगे, और अगर उनहैं
मालूम होजाये कि ईशा और फ़जर की नमाज़ में जाने का कितना सवाब है तो वह इन नमाजों को
पढ़ने केलिए जरूर जाएंगे, चाहे उनको घसेट कर जाना पड़े ॥
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