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नमाज़ की फ़ज़ीलत, अहमियत || Namaz Ki Fazilat || by rbnwikipedia

    || फजाइल ए नमाज़ ||

अल्लाह हम सब को नीचे लिखी हुवी बातों को पढ़ने के दौरान शैतान के वसवसे से हिफाजत फरमाए ! आज कि इस पोस्ट में पढ़ेंगे namaz ki fazilat hadith mein kya hai? namaz ki ahmiyat in hindi. और नमाज़ की फ़ाज़ित अहमियत से जुड़ी बातें जानेगे॥ 

मेरे अज़ीज़ इस्लामी भाइयों मेरे प्यारे आक के गुलामों ! मुझे उम्मीद है कि आप को नीचे लिखे हुवे इस्लाम के सुनहरे कीमती अल्फ़ाज़ से आप की ज़िंदगी के बहुत सारे मसाइल हल होगाए गोनगे ॥ मुझे यकीन ए कामिल है कि आप इस पोस्ट को अपने खाईश व अकारीब, दोस्तों अहबाब में जरूर शेयर करेंगे ॥


v   अल्लाह राबबूल इज्जत कुरान शरीफ में इरशाद फरमाता है :

v   और नमाज़ काइम करो रुकू करने वालों के साथ रुकू करो॥ (पारा 01, सूरह बकरा, रुकू 05, आयत 43)

v   और अपने घर वालों को नमाज़ का हुक्म दो और खुद उस पर साबित रह। (पारह 16, सूरह ताहा, रुकू 17, आयात 132)

v   बेशक नमाज़ मना करती है बेहयाई और बुरी बातों से॥ (सूरह अंकबूत, पारा 21, रुकू 01, आयत 45)

v   और मैं ने जिन और इंसान को इबादत केलिए पैदा फरमाया॥ (सूरह जारियात, पाराह 27, रुकू 02, आयत 56)

v   और नमाज़ कायम करो दिन के दोनों किनारों और कुछ रात के हिस्सों में, बेशक नेकियाँ बुराइयों को मिटा देती हैं। इस आयत की तफ़सीर में खजाइन उल इरफान फी तफ़सीर उल कुरान में हुज़ूर सदरुल अफआदिल फरमाते हैं : दिन के दोनों किनारों से सुबह व शाम मुराद हैं, जवाल से पहले का समय सुबह में और बाद का शाम में दाखिल है, सुबह की नमाज़ फ़जर और शाम की नमाज़ जोहर और असर में, औ रात के हिस्सों में नमाज़ मग़रिब व ईशा हैं॥ (सूरह हुद, पारह 12, रुकू 10,आयत 114)
खुलासा : इस आयात की तफ़सीर में हज़रत हुज़ूर सदरुल अफ़दिल फरमाते हैं कि दोनों किनारों से मुराद सुबह और शाम है, इस्लाम में सुबह का समय जवाल यानि सूरज ढलने से पहले को कहा जाता है, और शाम सूरज ढलने के बाद को कहा जाता है। तो सुबह में फ़जर की नमाज़ है और शाम में जौहर, असर की नमाज़ है और रात के हिस्से में मग़रिब व ईशा की नमाज़ है॥ 

v   हदीस शरीफ : हज़रत अब्दुल्ला बिन मसूद रदियालहू अंहु बयान करते है कि मैं ने प्यारे नबी करीम से पूछा कि अल्लाह ताला को सब से ज्यादा कोनसा अमल महबूब है फरमाया अपने समय पर नमाज़ पढ़ना, उन्होंने पूछा फिर कोनसा अमल फामय फिर माँ बाप के साथ भलाई करना उन्होंने पूछा फिर कॉनसा फरमाया अल्लाह ताला के रास्ते में जिहाद करना ॥ (बुखारी शरीफ जिल्द 01, पेज 76,लाइन 2,3.4)

v   हज़रत अबू होरेरा रादियालहू अनहू से रिवयत है कि उन्हों ने प्यारे नबी करीम मोहम्मद सेयदुल अंबिया को ये फरमाते हुवे सुना : बताओ अगर तुम में से कसी के दरवाजे पर दरया हो जिस में रोजाना पाँच 5 मर्तबा गुसल करे तो उस के कबरे में क्या कोहते हो ? उस के जिस्म में से कुछ मेल बाकी रह जाएगा या नहीं ? सहाबा ए कराम ने अर्ज क्या : उस के मेल में से कुछ भी नहीं बाकी रहेगा । तो प्यारे नबी करीम फरमाया यही पांचों नमाज़ की मिसाल है उनकी वजह से अल्लाह ताला गुनाहों को मिटा देता है॥ (बुखारी शरीफ जिल्द 01,पेज 76, लाइन नंबर 6,7,8)

v   हदीस शरीफ : हज़रत अबू होरेरा रादियालहू अहनु से रिवयत्र है कि अल्लाह के प्यारे हबीब नबी करीम ने फरमाया : अल्लाह के कुछ फ़रिश्ते रात में और कुछ फ़रिश्ते दिन में यके बाद दीगर यानि एक एक कर के आते रहते हैं । और फ़जर, और असर की नमाज़ में जमा होते हैं ।। फिर वो फ़रिश्ते जो तुम में शामिल रात भर रहे वो ऊपर जाते हैं तो उन से उन का रब पूछता है, हालांकि अल्लाह ताला उनके हाल को खूब जानता है, तुम ने मेरे बंदों को किस हाल में छोड़ा ! तो फ़रिश्ते अर्ज करते हैं कि हम ने उनको छोड़ा तो वो नमाज़ पढ़ रहे थे और उन के पास गए तो भी वो नमाज़ में मशग़ूल थे ।।
तशरीह, खुलासा : मेरे इस्लामी अज़ीज़ भाइयों ! इस हदीस से नमाज़ ए फ़जर और असर कि ये अज़ीम फ़ज़ीलत साबित हुवी कि इन नमाजो के समय अल्लाह ताला की बारगाह में रात और दिन के फ़रिश्ते जमा होते हैं (नीज़, में भी उस से अज़ीम ये फ़ज़ीलत सबीत हुवी कि इन नमाजों के वक्त अल्लाह ताला की बारगाह में नमाज़ियों के जिक्र ए खैर होता है ।। (हाशिया नुजहतूल कारी जिल्द 03, पेज 41)

v   हदीस शरीफ : हज़रत अबू होरेर रदियालहू अनहू से रिवयत है कि अल्लाह के प्यारे रसूल मोहम्मद ने फरमाया अगर लोग जानते कि अज़ान कहने और सफ ए औवल में कितना सवाब है और किरआ अंदाजी (यानि नाम फाली करना, कुछ लोगों का नाम कागज पर लिख कर निकालना) के बेग़ैर इन कामों का मोका न मिले तो वह जरूर कीरआ अंदाजी करेंगे, और अगर उन को सख्त दोपहर में नमाज़ केलिए जाने के सवाब का मालूम होजाये तो वह जरूर जाएंगे, और अगर उनहैं मालूम होजाये कि ईशा और फ़जर की नमाज़ में जाने का कितना सवाब है तो वह इन नमाजों को पढ़ने केलिए जरूर जाएंगे, चाहे उनको घसेट कर जाना पड़े ॥

 



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