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कफ़न पहनाने का तरीक़ा क्या है।

 कफ़न पहनाने का तरीक़ा ?




मेरे अज़ीज़ इस्लामी दोस्तों ! मैं चाहता हूं कि आसान अंदाज़ और हिंदी भाषा में आप लोगों तक यह इस्लामी बात यानी कफ़न पहनाने का तरीक़ा क्या है मैं इसे share करना चाहता हूं। ताकि जब भी आप को ज़रूरत पड़े तो आप आसानी के साथ इनको अपने काम में ला सकते हैं।

मय्यत को कफन पहनाने का तरीक़ा यह है कि सबसे पहले मय्यत को ग़ुस्ल दें फिर उस के बाद बदन को किसी पाक कपड़े से आहिस्ता आहिस्ता पूछ लें ताकि कफन भीज नाजाए और कफन को एक या तीन या पांच या साथ धूनी दे इससे ज्यादा नहीं।

 फिर कफ़न को इस तरह बिछाए कि पहले बड़ी चादर यानी लिफ़ाफा फिर तहबंद फिर कफ़नी "कमीज" फिर मय्यत को उस पर लेटाएं और कफनी को पहनाएं यानी दोनों तरफ से चादर को मय्यत के ऊपर रखेंगे।  याद रहे पहले बाएं तरफ से फिर दाहिनी तरफ से ताकि दाहिनी वाला ऊपर रहे। 

इसके बाद दाढ़ी तमाम बदन पर खुशबू लगाएंगे और खास तौर से बदन के उन हिस्सों पर खुशबू मलेंगे जो कि नमाज़ की हालत में ज़मीन से टच होते हैं यानी माथे, नाक, हाथ, घुटने, कदम पर काफ़ूर लगाएंगे। फिर इज़ार जिसको आप लूंगी कहते हैं उसे लपेटना है। उसी तरह जिस तरह कमीज को लिपटे थे। यानी पहले बाई तरफ से फिर दाहिनी तरफ से ता के दाहिने वाला साइड ऊपर रहे। 

इसके बाद सर और पैर दोनों तरफ बांध देंगे ताकि उड़ने का डर ना रहे। यहीं पर अगर मय्यत औरत हो तो कफनी पहनाने के बाद उसके बाल के दो हिस्से करके कफनी के ऊपर सीना पर रख देंगे। इसके बाद ओढ़नी को आधी पीठ के नीचे से बिछाकर सर पर लाकर मुंह "चेहरा" पर नक़ाब की तरह रखेंगे। ताकि बाल सीना पर रहे और क्योंकि ओढ़नी की लंबाई आधी पीठ से सीना तक है और चौड़ाई एकांकी लव से दूसरे कान किलो तक है। और आजकल के आवाम इस तरह और हनी मैयत के ऊपर रखते हैं जिस तरह के जिंदगी में उड़ाते हैं जोकि खिलाफ-ए-सुन्नत है। 

फिर उसी तरह जिस तरह कि कमीज़ को लिपटे थे उसी तरह इज़ार और लिफाफा लेपटेंगे फिर सबके ऊपर सीना बंद औरत है तो सीना बंद पिस्तान के ऊपर से रान तक लाकर बांध दें। 

प्यारे दोस्तों ! अगर इसमें कुछ है आपको समझ में ना आया हो तो आप जरूर कमेंट सेक्शन में मुझे बताएं ताकि मैं फिर से इसके मुताबिक आसान अंदाज में नकल करने की कोशिश करुं।



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