कयामत के दिन पहले क्या पूछा जाएगा ?
हदीस शरीफ : हज़रत अबू होरेरा
रादियालहू अनहू ने फरमाया मैं ने अल्लाह के प्यारे हबीब से यह फरमाते हुवे सुना,
आप ने फरमाया कयामत के दिन बंदे से सब से पहले जिस अमल का हिसाब होगा वो नमाज़ है
अगर ये सहीह हुआ तो कामयाबी और नजात है और ये ठीक न हुआ तो नाकाम और नुकसान है ।। (तिरमिज़ी शरीफ, जिल्द 01, पेज 94, लाइन नंबर 21,22)
कौन शख्स हरगिज दोज़ख में नहीं जाएगा ?
हदीस शरीफ : हज़रत उमारा बिन
रोबिया रादियालहू अनहू बयान करते हैं कि मैं ने प्यारे नबी करीम को फरमाते हुवे
सुना, आप फरमा रहे थे कि जिस शख्स ने तुलू ए आफताब और गुरूब ए आफताब से यानि सूरज
निकलने और डूबने से पहले यानि फ़जर और असर की नमाज़ पढ़ी वो हरगिज दोज़ख में नहीं
जाएगा ।। (मुस्लिम शरीफ, जिल्द 01, पेज 228, लाइन नंबर
05)
हदीस शरीफ : हज़रत अबू अमामा
रादियालहू अनहू से रिवयत है कि प्यारे नबी करीम ने फरमाया कि जो अपने घर से तहारत
कर के फर्ज नमाज़ के लिए निकला तो उसे हज के लिए अहराम बांध कर निकलने वाले कि तरह
सवाब मिलेगा ।। (अबू दाऊद शरीफ, जिल्द
01, पेज 2, लाइन नंबर 20)
पिछला गुनाह किन लोगों का मुआफ़ होता है ?
हदीस शरीफ : हज़रत जैद बिन
खालिद जहनी रादियालहू अनहु से रिवयत है कि अल्लाह के प्यारे रसूल मोहम्मद रसूलुलाह
ने फरमाया जिस ने वज़ू किया और अच्छी तरह वज़ू किया फिर दो रकतें नमाज़ पढ़ें जिम में
कोई भूल चोक न हो तो उस के पिछले गुनाह मुआफ़ फरमा दिए जाते हैं ।। (अबू दाऊद शरीफ, जिल्द 01, पेज 131,लाइन नंबर 1,2)
किन के लिए जन्नत वाजिब है ?
हदीस शरीफ : अल्लाह के
प्यारे रसूल सेयदुल अंबिया जनाब ए मोहममदूर रसूल अल्लाह ने फरमाया तुम में से कोई
ऐसा नहीं कि वो अच्छी तरह वज़ू कर के दो रकतें नमाज़ पढ़ें और उन में दिल व जुबान से
मुतवज्जह रहे, मगर उसके लिए जन्नत वाजिब हो जाती है ।। यानि जो जो शख्स मुतवज्जह
हो कर दो रकतें नमाज़ अदा करे तो उस के लिए जन्नत वाजिब होजाती है ।। (अबू दाऊद शरीफ, जिल्द 01, पेज 131,लाइन नंबर 4,5)
namaz ki fazilat aur ahmiyat in Islam by Quran o Hadees.
namaz ki hadees in Hindi
namaz ki fazilat in hindi.
बच्चों को नमाज़ का हुक्म कब दिया जाए ?
हदीस शरीफ : अल्लाह के
प्यारे रसूल सैयदुल अंबिया हुज़ूर पुर नूर शफये यौमन नुशूर प्यारे मोहम्मद ने
फरमाया बच्चे जब सात 7 साल के होजायें तो उनहैं नमाज़ पढ़ने का हुक्म दो ! और जब दस
10 साल का हो जाए तो नमाज़ के मुतालिक उसे मारो पीटो ! (अबु दाऊद शरीफ, जिल्द 01,पेज 70, लाइन नंबर 26,27)
बच्चों को कब माँ बाप से लग सुलाया जाए ?
हदीस शरीफ : हज़रत उम्र बिन
शोएब उनके वालिद माजिद उनके दादा जान से रिवयत करते हैं कि प्यारे मोहम्मद रसूल
अल्लाह ने फरमाया अपनी औलाद को नमाज़ पढ़ने का हुक्म दो जबकि वो सात 7 साल के हो जाए
और उसे नमाज़ केलिए मारो जब वो 10 साल के हो जाए और उन्हैं अलग अलग सुलाया करो ! (अबू दाऊद शरीफ जिल्द 01, पेज 71,लाइन नंबर 2,3,4)
तशरीह, खुलासा : दोस्तों यहाँ
पर तवज्जह देनी की बात है, इन उम्रों में अगरचे उन पर नमाज़ फर्ज नहीं है क्यों कि
वो नाबालिग़ हैं, आदत डालने केलिए उनहैं अभी से नमाज़ी बनाए क्योंकि दस 10 साल की
उम्र में बच्चे को समझ बूझ आ जाती है । इसलिए मरने का भी हुक्म दिया है ॥
मस्जिद आने में ज्यादा सवाब किन को है ?
हदीस शरीफ : हज़रत अबू होरेरा
रदिअल्लाहु ताला अनहू से रिवयत है कि प्यारे नबी करीम तमाम रसूलों के सरदार जनाब ए
मोहम्मद रसूल अल्लाह ने फरमाया जो शख्स मस्जिद से जितना ज्यादा दूर है उसे जमात
में शामिल होने के बाईस उतनही ज्यादा सवाब मिलता है ॥ (अबू दाऊद शरीफ, जिल्द 01, पेज 82, लाइन नंबर 12,13)
मेरे प्यारे अज़ीज़
दोस्तों ! मैं आप को मुखातिब करना चाहूँगा कि आप इस हदीस ए पाक को जरूर धियाँ से
पढे ! क्योंकि हदीस ए पाक की रोशनी से आप का ईमान और दिल में एक सुकून और ताजगी
पैदा हो जाएगी इंशा अलहूल अजीजी ॥
नमाज़ी का निकलना और अजर, बदला देना ?
हदीस शरीफ : अल्लाह के
प्यारे महबूब दानाए गुयूब सैयदुल अंबिया हसनैन कारीमैन के नाना जान, मक्की सरदार, मदनी
दजदार, गुनहगारों के खरीददार, जनाब ए नाईब ए परवरदिगार, मोहममदूर रसूल अल्लाह ने
फरमाया : जब तुम में से कोई वज़ू करे और अच्छी तरह वज़ू करे फिर नमाज़ केलिए निकले तो
वो शख्स अपना दायाँ कदम नहीं उठाता मगर अल्लाह ताला उस केलिए एक नेकी लिख देता है
।और कोई बायाँ कदम नहीं उठाता मगर अल्लाह ताला उस का एक गुनाह मिटा देता है । पस
जो चाहे मस्जिद से नजदीक रहे या दूर रहे, जब मस्जिद आकार जमात के साथ नमाज़ पढ्
लेता है तो उस की मगहफिरत फरमा दी जाती है । अगर कोई शख्स मस्जिद में ऐसे वक्त में
आए कि कुछ नमाज़ हो चुकी और कुछ बाकी है तो जो मिले उसे पढ़ले और जो रह गई उसे पूरी
करे ! तो उस केलिए भी जमात का सवाब मिलेगा, अगर मस्जिद में ऐसे वक्त आया कि लोग पढ़
चुके तो खूद पूरी नमाज़ पढे उस केलिए भी वही अजर है ॥ यानि वही सवाब है ॥ (अबू दाऊद
शरीफ, जिल्द 01,पेज 83,लाइन नंबर 18,19,20,21,22,23)
गुनाह गाछ,दरखत के पत्ते की तरह झाड़ जाते हैं ?
दुरूद शरीफ की फ़ज़ीलत हिन्दी में
नमाज़ की फ़ज़ीलत और अहमियत हिन्दी में
मोला अली की सुनहरी बातें हिन्दी, उर्दू में
बुखारी, मुस्लम, नसाई, अबू दाऊद, इब्न माजा, तिरमीजी
शरीफ के राइटर के Biography हिन्दी में
हदीस शरीफ : हज़रत अबू जर से रिवयत है कि अल्लाह के प्यारे महबूब सर्दी के मॉसम में मदीना मुनौवरा से बाहिर तशरीफ़ लेग ए, जब पत्ते झड़रहे थे तो प्यारे नबी करीम मोहम्मद ने एक दरख्त की शाखें पकड़ लियें और फरमाया कि ये अबु जर ! मैं ने कहा हुज़ूर हाजिर हूँ, प्यारे आका ने फरमाया कि जब मुसलमान बनदा अल्लाह की रिजा के लिए नमाज़ पढ़ता है तो उस के गुनाह ऐसे ही झड़जाते हैं जैसे पत्ते इस दरख्त से झड़ गए ॥ (मिशकात शरीफ, जिल्द 01,पेज 58,लाइन नंबर 23,24,25)
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