अल्लाह ताला ज़मीन व आसमान को कितने दिन में पैदा फ़रमाया।
सवाल : क्या फ़रमाते हैं ओलमा-ए-किरामराम व मुफ्तियान-ए-एज़ाम इस मस्अला के बारे में कि अल्लाह ताला ने ज़मीन आसमान को कितने दिन में बनाया ? बराय मेहरबानी मुकम्मल तौर पर जबाब इनायत फरमाए, ऐ़न नवाज़िश होगी।
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जवाब : आसमान व ज़मीन को अल्लाह रब्बुल इज्जत ने 6 दिन में बनाया है। जैसा कि अल्लाह ताला कुरान मजीद फुरकान-उल-ह़मीद में इरशाद फ़रमाया है (اِنَّ رَبَّكُمُ اللّٰهُ الَّذِیْ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَ الْاَرْضَ فِیْ سِتَّةِ اَیَّامٍ ثُمَّ اسْتَوٰى عَلَى الْعَرْشِ۫) जिस का तर्जुमा यह है। बेशक तुम्हारा रब अल्लाह है जिसने आसमान और जमीन 6 दिन में बनाए फिर अर्श पर इसतवा फरमाया।
[ सूरत-उल-आराफ़, आयत : 56 ]
अज़ीज़ दोस्तों ! कुरान-ए-पाक की इस आयत से यह बात ज़ाहिर है कि आसमान व ज़मीन की तख़लीक़ है। कि अल्लाह ताला ने आसमान और ज़मीन को पैदा किया، 6 दिन में पैदा किया है। जैसा कि इस आयत में और दूसरी आयात में फ़रमाया गया।
अगर आसमान व ज़मीन एक साथ एक लम्हे में पैदा होते तो किसी को शक हो सकता था कि यह एक इत्तिफ़ाक़ी हादसा है लेकिन जब उनकी तख़लीक़ एक खास मुद्दत और मख़सूस तरीक़ा कार से हुई तो मालूम होवा कि उसको किसी और ने वजूद बख्शा है।
6 दिन में तख़लीक़ से क्या मुराद है ?
इसके मुतअल्लिक बाज लोगो ने फ़रमाया कि 6 दिन से मुराद 6 अद्वार हैं और अक्सर ने फरमाया कि दुनियावी एतवार से जो 6 दिन की मिक़दार बनती है वह मुराद है।
💫💬बहरे हाल जो भी सूरत हो अल्लाह ताला हर सूरत पर कादिर है। आसमान व जमीन को 6 दिन में पैदा करने की हिकमत यह है कि अल्लाह ताला कादिर था कि एक लम्हा में या उससे कम में ज़मीन व आसमान पैदा फरमा देता। लेकिन इतने अर्से में उनकी पैदाइश फरमाना यह हिकमत का तकाजा है और उसमें बन्दों के लिए तालीम है। कि बंदे भी अपने काम में जल्दी ना किया करें बल्कि आहिस्तागी से करें।
सिरात-उल-जिनान फ़ी तफ़सीर-उल-क़ुरआन और ख़ज़ाइ-उल-इरफ़ान में है उन तमाम चीज़ो के साथ जो उनके दरमियान हैं। जैसा कि अल्लाह ताला कुरान मजीद की दूसरी आयते करीमा में इरशाद फ़रमाता है। (ولقدخلقنا السموات والارض وما بینھما فی ستۃ ایام)
6 दिन से दुनिया के 6 दिनों की मिक़दार मुराद है।
क्योंकि यह दिन तो उस वक्त थे नहीं, आफताब "सूरज" ही ना था जिससे दिन होता। और अल्लाह ताला क़ादिर था कि एक लम्हा में या उससे कम में पैदा फरमाता लेकिन इतनी अरसा में उनकी पैदाइश फरमाना उसके साथ हिकमत का तकाजा है और उससे बन्दों को अपने कामों में एक दर्जा इख्तियार करने का सबक मिलता है।
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