दुश्मन-ए- रसूल
रिवायत हज़रते जकरिया अलैहिस्सलाम के साहबजादे हज़रत ए यहिया अलैहिस्सलाम किसी जंगल से गुज़र रहे थे कि वहां पर शैतान को रोता हुआ देखा। आपने फरमाया शैतान से रोते क्यों हो। शैतान ने बोला। ऐ अल्लाह के नबी वह शख्स क्यों ना रोए जिसने एक लंबी उम्र तक अल्लाह की बंदगी की हो। उसकी इबादत सिर्फ बेकार जाती रही हो।
हज़रते यहीया अलैहिस्सलाम ने अल्लाह की बारगाह में अर्ज किया। या इलाही यह शैतान अब तो रोता फिरता और पछताता है। क्या इसके साथ कोई मसालिहत की कोई सूरत है। अल्लाह ने फरमाया ऐ यहिया.! इसके रोने पर ना जाओ।
यह इखलास के साथ नहीं रोता। यह सिर्फ बनावट दिखावा होता है। अगर तुम इसके निफ़ाक को मालूम करना चाहते हो तो उसे कहो। कि अल्लाह फरमाता है। आज भी अगर तुम हजरत ए आदम अलैहिस्सलाम की कब्र को सजदा कर लोगे तो हम राजी हो जाएंगे।
हज़रते यहीया अलैहिस्सलाम ने जब शैतान से यह बात कही तो शैतान खिलखिला कर हंसने लगा और कहने लगा। मैंने जब जिंदगी में आदमखोर सजदा नहीं किया। तो उसके मरने के बाद मैं कैसे चलता कर सकता हूं।
[नवजातुल मजालिस पेज 60]
सबक़ मेरे अज़ीज़ इस्लामी भाइयों.! इस रिवायत से मालूम होता है कि हर रोने वाला ज़रूरी नहीं है कि मूखिसाना रो रहा हो। बल्कि कुछ लोग झूठा दिखावा रोना रोता है। और यह भी मालूम हुआ कि शैतान रसूल का बहुत बड़ा दुश्मन है। जोकि रसूल के आगे ना पहेली झुकना था ना अब किसी सूरत में भी झुकने के लिए तैयार होता है। रसूल की बारगाह में बेअदबी गुस्ताखी भी किया। शैतान ने यह भी कहा था अल्लाह के रसूल के लिए कि मर गए।
दोस्तों इस वाक्य से हमें यह समझना चाहिए ऐसी बातें जिन लोगों के अंदर पाई जाए समझो वह कोई और नहीं बल्कि शैतान की नस्ल है।
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