अस्सलामु अलैकुम
मेरे अज़ीज़ भाइयों दोस्तों..! आज की इस पोस्ट के अंदर आप जानने वाले हैं कि हमारे आका करीब मुस्तफा जाने रहमत रहमत अली लाल अमीन ﷺ का मकाम क्या है। लोग इस बात पर उंगली उठाते हैं, लोग कहते हैं कि नबी कुछ नहीं कर सकते कुछ इख्तियार नहीं है। इस पोस्ट को पढ़ने के बाद अब जान जाएंगे...!
⛭ नबी ﷺ मोजज़ा ⛭
एक मरतबा हुजूर नबी करीम ﷺ एक तालाब के किनारे तशरीफ़ फरमा थे कि वहाँ पर अबू जहल का बेटा [ अक्रमा रदी अल्लाहू अन्हू यह बाद में मुसलमान हो गए थे ] नबी ﷺ के पास आया और कहने लगा अगर आप सच्चे हैं तो वह जो तालाब के दूसरी जाने एक पत्थर पड़ा हुआ है। आप उसे हुकम फरमाइए कि वह पत्थर पानी पर तैरता हुआ आपके पास पहुंच जाए और दुबे नहीं। मेरे प्यारे मुस्तफा ﷺ उस पत्थर की तरफ इशारा फरमाकर फरमाया। मेरे पास आओ...! तो पत्थर उसी वक्त नबी का फरमान सुनकर अपनी जगह छोड़ कर पानी में आया और तैरता हुआ प्यारे नबी ﷺ की बारगाह में हाजिर हुआ। हाजिर होते हैं बुलंद आवाज से कली मा शरीफ पढ़ने लगा।
हुजूर ﷺ अबू जहल का बेटा अकरमा से फरमाया। "बस या कुछ और है"। अक्रमा ने कहा फिर कहिए कि अपनी जगह पर चला जाए। चुनांचे हजूर ﷺ फिर उस पत्थर को इरशाद फरमाया, तो वह पत्थर तैरता हुआ फिर अपनी जगह चला गया।
[ तफ़सीरुल इमाम-ए-राज़ी ]
सबक़ दोस्तों हमारे आपके प्यारे नबी करीम ﷺ के बेशुमार मोजज़ा में से यह भी एक मोजज़ा है। पत्थर को पानी में तैरवा दिया। इसी तरह हजरत नूह अलैहिस्सलाम की बड़ी दशमी का पानी तैरना यह भी हज़रते नुह़ अलैहिस्सलाम का मोजज़ा जाता था।
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