मिज़ान क्या चीज़ है..?
तमाम मुसलमानों का अक़ीदा है कि मिज़ान हक़ है। एक तराज़ू है जो कि मैदान-ए-महशर में लोगों के आमाल को तौले जाएंगे उसी को मिज़ान कहते हैं। मीज़ान के दो पल्ले होंगे उस पर तमाम लोगों के अच्छे बुरे आमाल रखे जाएंगे। मेरे इस्लामी भाइयों ! याद रहे की नेकी का पल्ला भारी होने का यह माना है वह ऊपर उठेंगे। (यानी भारी होने के बावजूद भी नेकी का पल्ला ऊपर होगा) बदी का पल्ला हल्का होने के बावजूद भी नीचे की ओर जाएंगा। पता क्या चला नेकी का पल्ला ऊपर होगा और बदी का पल्ला नीचे होगा।
सिरात क्या है...?
मेरे प्यारे अज़ीज़ भाइयों ! सिरात भी बरहक है। ( सिरात एक अरबी लफ्ज़ है जिसका माना होता है रास्ता) जोके जहन्नम के ऊपर से एक पुल होगा उसी को सिरात कहते हैं। यह पुल ऐसा होगा कि बाल से भी ज़्यादा बारिक यानी पतला और तलवार से ज़्यादा तेज़ होगा। जन्नत जाने का यही रास्ता है। इस रास्ते से हर एक को गुजरना होगा। अल्लाह ताला के मानने वाले का उस पर चलना आसान होगा लेकिन काफिर न चल सकेगा और जहन्नम में गिर जाएगा। कुछ मुसलमान उस पुल से इतनी जल्दी गुजरेंगे जैसे बिजली चमकी। अभी इधर थे कि उधर पहुंच गए। और कुछ मुसलमान तेज़ हवा की तरह उस फूल से गुजरेंगे और कुछ तेज़ घोड़े की तरह और कुछ धीरे-धीरे गिरते पड़ते कांपते लंगड़ा ते यानी जितना अच्छा अमल होगा उतनी ही जल्दी पार होगा।
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